अल उला एक विचित्र रहस्यमयी प्राचीन शहर है, जो उत्तर पश्चिमी सऊदी अरब के मदीना प्रान्त में है। समूद एक प्रारंभिक अरब जनजाति जो इसी शहर में बसी थी जिसे ईश्वर ने उनके पैगंबर सालेह को अस्वीकार करने के परिणामस्वरूप नष्ट कर दिया था जिसकी वजह से इस शहर को शापित कहा जाता था। 2000 साल पुराना यह शहर रेगिस्तान और चट्टानों से भरा हुआ है। पिछले कुछ सालों में इसे बहुत ज़्यादा डेवेलप किया गया है। सऊदी अरब में घूमने के लिए यह एक रोमांचित जगह हो सकती है ,काफी संख्या में विदेशी पर्यटक अल उला रहस्यमयी शहर की लोकप्रियता की वजह से यहाँ आ रहे हैं।
अल उला में घूमने की जगहें
यहाँ अल उला में बहुत सारी रहस्यमयी जगहें हैं जो आपको रोमांचित और विचाराधीन कर देना वाली हैं। काफी संख्या में पूरी दुनिया से पर्यटक यहाँ की विचित्र घाटियों के बारे में जानने के लिए यहाँ आते हैं। चलिए जानते हैं अल उला की इन रहस्यमयी सभ्यता के बारे में –
हेगरा – यूनेस्को का धरोहर स्थल
हेगरा की प्राचीन संस्कृतियों उनके रहन सहन और शिल्पकला एवं प्राचीन पत्थर नक्काशी हेगरा के अतीत का प्रमाण हैं। हेगरा सऊदी अरब का पहला यूनेस्को विश्व धरोहर है। हेगरा पर रोमन साम्राज्य का असर देखने को मिलता है जिसकी वजह यहाँ की रक्षात्मक दीवारें, द्वार, और टावर जो हेगरा को हर तरफ से सुरक्षा देती हैं। रेगिस्तानी चट्टानों से बनायीं गयी 100 से ज़्यादा क़ब्रों को संरक्षित रखने की वजह से हेगरा प्रसिद्ध है। वाइल्ड लाइफ नेचर टूर और हेगरा विंटेज लैंड रोवर टूर का पर्यटक यहाँ आनंद ले सकते हैं।
माराया
माराया जिसका मतलब दर्पण होता है ,शीशे से बनी दुनिया की सबसे बड़ी संरचना अल उला की अशर घाटी में है। चट्टानों के बीच रेतीले मैदान में यह ईमारत अचानक से दिखती है और आपके आँखों को चकाचौंध कर देती है और गायब हो जाती है। यह ईमारत कला का एक बेहतरीन नमूना है। इसमें 9740 शीशे के पारदर्शी पैनल लगे हुए हैं। सूरज की रौशनी में इसका दृश्य अत्यंत मनोरम दिखता है। अंदर की ईमारत में 26 मीटर का फर्श है जोकि प्रोग्राम आयोजन के लिए बनाया गया है बहुत ही सुन्दर दिखता है।यहाँ आप शेयरिंग प्लेट और मॉकटेल के साथ सऊदी पकवान और ब्रिटिश पकवान का आनंद ले सकते हैं। आप आराम कर सकते हैं, भोजन कर सकते हैं, साथ ही अशर घाटी की चट्टानी घाटियों का शानदार प्रतिबिंब भी देख सकते हैं।
एलीफैंट रॉक
52 मीटर में फैली चट्टान हाथी के आकार का चिन्ह अल उला का एक सच्चा प्रतीक है। अरबी भाषा में जबल अल फील नामक यह आकृति लाखों वर्षों के दौरान हवा और पानी के कटाव से बनी है। लाल रंग के बलुआ पत्थर का यह एलीफैंट रॉक डूबते हुए सूरज के समय गहरे लाल रंग का दिखता है जो काफी आकर्षित करने वाला होता है। शाम के समय पर्यटक रेगिस्तान की ठंडी हवा में आग जलाकर खुद को गर्म रखते हैं और खाने पीने का आनंद लेते हैं। यहाँ पर फ़ूड ट्रक और कॉफी शॉप से खाने पीने की चीजें मिल जाती हैं।
दादन
सऊदी अरब का खोया हुआ खजाना 2000 साल से भी ज़्यादा पुराना दादन शहर जोकि लिहयान साम्राज्यों की राजधानी हुआ करता था अल उला की सबसे महत्वपूर्ण खोजों में से एक है। यह लुभावना पत्थर का शहर 100 से ज़्यादा संरक्षित क़ब्रों के लिए प्रसिद्ध है जिन्हें लाल चट्टानों में बड़ी कारीगरी से बनाया गया था। इस जगह ने दुनियां भर के पुरातात्विक समुदाय का ध्यान आकर्षित किया वे इस बात का पता लगाने में लगे हैं कि उस समय लोग इसे जमीन से 50 मीटर ऊपर तक कैसे बनाने में सक्षम थे। पर्यटक यहाँ उत्तर पश्चिम अरब का इतिहास और यहाँ के रहस्य को गहराई से जानने के लिए आते हैं।
जबल इकमा
जबल इकमा इतिहास के चित्र और लिखे हुए शब्द की कहानियों का खज़ाना है जो आने वाली पीढ़ियों को यह बताता है कि उनके पूर्वज की सभ्यता संस्कृति और उनका रहन सहन कैसा था। लिखित शब्द की शक्ति मानव जाति के इतिहास में हमेशा से मौजूद रही है। यहाँ के चट्टानों पर सैकड़ों शिलालेख पाए गए जिसकी वजह से जबल इकमा को यूनेस्को के द्वारा विश्व स्मृति रजिस्टर में शामिल कर लिया गया। यहाँ पर आप वादी अलनाम डिस्कवरी टूर ,दादन और जबल इमका विंटेज लैंडरोवर टूर और अल उला ओपन-एयर लाइब्रेरी’ नामक स्थान पर प्राचीन शिलालेखों का अध्यन कर सकते हैं।
वादी अलफ़ैन
वादी अलफ़ैन घाटी का पैदल भ्रमण करने पर आप विचारों में लीन हो जायेंगे। कलाकिर्तियों की ऐसी भूमि, कला प्रेमियों को पूरी पृथ्वी पर कहीं नहीं मिलेगी। भूमि कला का सम्मोहक दृश्य कलाकारों द्वारा सबसे प्रभावशली अद्वितीय कीर्तियाँ विशाल रेगिस्तान में बनाई गयी हैं। वादी अलफ़ैन को कला की घाटी कहते हैं।
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